International E-publication: Publish Projects, Dissertation, Theses, Books, Souvenir, Conference Proceeding with ISBN.  International E-Bulletin: Information/News regarding: Academics and Research

मारवाड़ की टकसाल व्यवस्था

Author Affiliations

  • 1पोस्ट डॉक्टोरल फेलो, इतिहास विभाग, इण्डियन कौंसिल ऑफ हिस्टोरीकल रिसर्च, नई दिल्ली, भारत

Res. J. Language and Literature Sci., Volume 7, Issue (2), Pages 1-4, May,19 (2020)

Abstract

मारवाड़ के सिक्को का जब हम अध्ययन करते हैं तो हम देखते हैं कि मारवाड़ नरेश महाराजा अजीतसिंह जी ने वि.सं. १७७७ में अजमेर में अपने नाम का सिक्का चलाया था। जोधपुर के सिक्को का वर्तमान स्वरूप मुगल वंश के पराभव काल के दरमियान आरम्भ हुआ। मारवाड़ के नरेशों में सर्वप्रथम महाराजा विजय सिंह जी ने वि. सं. १८३७ में अपना सिक्का विजयशाही बादशाह शाह आलम से अनुमति लेकर चलाया था। शाह आलम द्वितीय का सनेजलूस (राज्य वर्ष) बाईसवां होने से यहां बाइसंदा भी कहलाता था। वि. सं. १९१६ (ईस्वी १८५९) जब अपनी महारानी विक्टोरिया हो गई तब एक और महारानी विक्टोरिया और दूसरी ओर महाराजा तख्तसिंह जी का नाम जोड़ा गया। राजस्थान राज्य अभिलेखागार बीकानेर में जहां मारवाड़ के छत्तीस विभागों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। राज्य में जोधपुर, नागौर, पाली, सोजत व मेड़ता में टकसाले स्थित थी। टकसाल दरोगा, टकसाल पोतदार, मुसरक मुख्य टकसाल अधिकारी होते थे। प्रत्यके टकसाल की अपनी अलग-अलग विशेषताएं थी, जैसे मारवाड़ की टकसाल से जारी सिक्कों के उपर झाड़ के पास टकसाल के दरोगा का चिन्ह रहता था व तलवार बनी रहती थी। झाड़ सात या नो टहनियों का होता था। अलग-अलग महाराजाओं ने अलग-अलग परिवर्तन किए। अपनी अलग-अलग खुबियों के साथ ही नया संवत प्रारम्भ होते ही नई डाइयॉ काम में ली जाती थी। इन टकसालों में कौन-कौन अधिकारी नियुक्त थे, उनके नामों का वर्णन भी टकसालो के अध्ययन के दौरान मिलता है। राज्य की टकसाल व्यवस्था के अध्ययन से सम्पूर्ण राज्य के मुख्य टकसालो के साथ ही राज्य की आर्थिक व्यवस्था की भी वास्तविक जानकारी का पता चलता हैं।

References

  1. जगदीश सिंह गहलोत (१९९१)., मारवाड़ राज्य का इतिहास., महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाशन, जोधपुर
  2. भाटी हुकमसिंह (२०००)., मारवाड़ री ख्यात., राजस्थानी शोध संस्थान, चौपासनी, जोधपुर
  3. फतह सिंह मानव (२००९)., राजपूताना का अपूर्व इतिहास भाग-१., तनय शर्मा, साईन्टिफिक पब्लिशर्स (इण्डिया), जोधपुर
  4. ओहदा बही सं. १, वि. सं. १७६५-१९४१ (२०१७)., राजस्थान राज्य अभिलेखागार, बीकानेर संग्रह ।, दिनांक २४.०४.२०१७ को स्वयं लेखिका द्वारा अभिलेखागार, बीकानेर में जाकर देखा गया।
  5. ओहदा बही सं. २, वि. सं. १८२०-१९०० (२०१७)., राजस्थान राज्य अभिलेखागार, बीकानेर संग्रह ।, दिनांक २७.०५.२०१७ को स्वयं लेखिका द्वारा अभिलेखागार, बीकानेर में जाकर देखा गया।
  6. ओहदा बही सं. ३, वि. सं. १९०१-१९३९ (२०१८)., राजस्थान राज्य अभिलेखागार, बीकानेर संग्रह ।, दिनांक ०५.०५.२०१८ को स्वयं लेखिका द्वारा अभिलेखागार, बीकानेर में जाकर देखा गया।
  7. दरोगा दस्ती व दारोगा टकसाल (२०१८)., थेबो के सम्बन्ध दिनांक १९.०४.१९२९ महकमा खास राज मारवाड़ ।, दिनांक ०४.०६.२०१८ को स्वयं लेखिका द्वारा अभिलेखागार, जोधपुर में जाकर देखा गया।
  8. विलियम विल्फड वेश (१८७३)., राजपूताने के सिक्के, देवनगर प्रकाशन, जयपुर ।, दिनांक १०.०७.२०१७ को स्वयं लेखिका द्वारा अभिलेखागार, जयपुर में जाकर देखा गया।
  9. प. विश्वेश्वनाथ रेउ (१९३८, १९४०)., मारवाड़ का इतिहास., प्रकाशक : महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाशन, जोधपुर । दिनांक २०.०४.२०१८ को स्वयं लेखिका द्वारा अभिलेखागार, जोधपुर में जाकर देखा गया।
  10. जेम्स टॉड (१९८७)., जोधपुर राज्य का इतिहास., अनुवादक एवं सम्पादक : बलदेव प्रसाद मिश्र एवं ज्वालाप्रसाद मिश्र, यूनिक ट्रेडर्स, चौड़ा रास्ता, जयपुर
  11. रघुवीर सिंह एवं मनोहर सिंह राणावत (१९८८)., जोधपुर राज्य की ख्यात., भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली
  12. फाईल नं. ७ पार्ट १ (१९१२)., सम्मान शीर्षक और सरकारी परिपत्रों आदि के लिए पंजीकरण महाकान खास राज मारवाड़ ।, दिनांक ०१.०३.२०१७ को स्वयं लेखिका द्वारा अभिलेखागार, जोधपुर में जाकर देखा गया।
  13. दरोगा दस्ती व दारोगा टकसाल(२०१७)., थेबो के सम्बन्ध दिनांक १९.०४.१९२९ महकमा खास राज मारवाड़ ।, दिनांक ३०.०५.२०१७ को स्वयं लेखिका द्वारा अभिलेखागार, जोधपुर में जाकर देखा गया।
  14. प. विश्वेश्वनाथ रेउ (१९३८,१९४०) (2018)., मारवाड़ का इतिहास., महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाशन, जोधपुर। दिनांक ०३.०८.२०१८ को स्वयं लेखिका द्वारा अभिलेखागार, जोधपुर में जाकर देखा गया।
  15. विलियम विल्फड वेथ (१८९३)., राजपूताने के सिक्के., देवनगर, जयपुर ।